Tuesday, August 21, 2018

Maiya Sherawali Dukh Nivarati

मैया शेरावाली दुःख निवारती, चली बिपता टारती चली,
इसलिए है भली की सबको तारती चली 

ऊंचे ऊंचे पर्वत पे मैया ने भुवन बनाये,
राजा रंक सभी तेरे द्वार आकर शीश झुकाए,
भक्त जानों की बिगड़ी माँ संवारती चली || विपता ||

शुम्भ निशुम्भ पछाड़े माता, महिषासुर संहारा
रक्तबीज को भस्म किया, धरती का भार उतारा,
सिंह वाहिनी, सिंह सामान दहाड़ती चली || विपता ||

कहाँ जाऊं किसके दर जाऊं, भटक भटक कर हारा,
सबकी चौखट पे अपना सर पटक पटक कर हारा,
ध्यानु भगत को प्यारी माँ दुलारती चली || विपता ||

निर्बल को बल देने वाली, निर्धन को दे माया,
"पदम्" निराली माँ की महिमा कोई समझ न पाया,
मानव और दानव को ममता बाँटती चली || विपता ||

-: इति :-


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