तर्ज:- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
जपो रे मन गोवर्धन गिरधारी ||
सखियों के संग रास रचाए,
लूट लूट कर माखन खाए,
माधव मदन मुरारी || जपो ||
जमुना तट पे मुरली बजाये,
राधा की सुध बुध बिसराए,
राधा रमण बिहारी || जपो ||
गोवर्धन को नख पे धारो,
मथुरा जाए के कंस को मारो,
भक्तन के हितकारी || जपो ||
अर्जुन के रथ हाकने वाले,
गीता में उपदेश तुम्हारे,
चक्र सुदर्शन धारी || जपो ||
द्रौपदी ने जब टेर लगाई,
तुमने उसकी बिगड़ी बनाई,
"पदम्" चरण बलिहारी || जपो ||
-:इति:-