Friday, August 10, 2018

Daras Kaise Hoye

दरस कैसे होय, जगदम्बे माँ को,
जगदम्बे माँ को - मेरी अम्बे माँ को ||

मैं कैसे चढ़ूँ ऊंची पहाड़िया,
कहाँ जाके तूने बना लयी मड़िया,
बता दइयो मोय || जगदम्बे ||

तुम्हारे भुवन में लगा लये हैं डेरा,
चढ़ा दये नरियल चढ़ा दये हैं केरा,
अब का चाने तोय || जगदम्बे ||

मेरी माँ को चिंता है सारे जगत की,
कहानी सुनी है वह ध्यानु भगत की,
नहीं तुम सा कोय || जगदम्बे ||

"पदम्" मोक्ष मिलता है माँ की शरण में,
माँ अम्बे का दर्शन मिले जागरण में,
जो सोवे सो खोय || जगदम्बे ||

-: इति :-


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