दरस कैसे होय, जगदम्बे माँ को,
जगदम्बे माँ को - मेरी अम्बे माँ को ||
मैं कैसे चढ़ूँ ऊंची पहाड़िया,
कहाँ जाके तूने बना लयी मड़िया,
बता दइयो मोय || जगदम्बे ||
तुम्हारे भुवन में लगा लये हैं डेरा,
चढ़ा दये नरियल चढ़ा दये हैं केरा,
अब का चाने तोय || जगदम्बे ||
मेरी माँ को चिंता है सारे जगत की,
कहानी सुनी है वह ध्यानु भगत की,
नहीं तुम सा कोय || जगदम्बे ||
"पदम्" मोक्ष मिलता है माँ की शरण में,
माँ अम्बे का दर्शन मिले जागरण में,
जो सोवे सो खोय || जगदम्बे ||
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