दिल को नज़रों से पिला दो तो बहल जायेंगे,
लगे ठोकर तो वह गिर गिर के संभल जायेगा ||
मेरे महबूब जो तू बेनकाब आ जाये,
रंग मेहरबान दो घड़ी में बदल जायेगा ||
इस तरह ज़ुल्फ़ को बिखरा के चमन में न फिरो,
सपेरा बीन को लेकर के निकल आयेगा ||
मेरे सीने में हैं अंगारे मुहब्बत यारों,
इससे लिपटेगा वह पानी सा पिघल जायेगा ||
मेरे पैमाने से कमज़र्फ जरा दूर रहो,
बर्ना हाथों से मेरा जाम फिसल जायेगा ||
अपनी धड़कन से जबानी को दबाये रखना,
दिले नादां है जो सीने से निकल जायेगा ||
ऐ मेरी जाने "पदम्" यूं न सितम बरसाओ,
दिल है दीबाना अदाओं पे मचल जायेगा ||
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