Wednesday, April 5, 2017

Yeh Raja Ram Ka Darbaar Hai

तर्ज - साजन मेरा उस पार है
फिल्म - गंगा जमुना सरस्वती

यह राजा राम का दरबार है,
आजा शरण में बेड़ा पार है । ।

शिव के धनुष को चढ़ाया है,
सीता से ब्याह रचाया है,
जनक पुरी में जय जयकार है   । । आजा । ।

चौदह बरस वन में काटे हैं,
वचन पिता के निभाए हैं,
लक्ष्मण की सेवा बे शुमार है     । । आजा । ।

रावण ने सीता चुराई है,
बजरंग ने लंका जलाई है,
गुणगान गाये यह संसार है       । । आजा । ।

पापी अधर्मी तुमने तारे हैं,
हमको भी तारो हम तुम्हारे हैं,
विनती "पदम्" की बार बार है  । । आजा । ।



-: इति :-
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Aao Banwaari

तर्ज - बड़ी मस्तानी है मेरी महबूबा
फिल्म - जीने की राह

भैया पुकारे है बहना तुम्हार,
बिगड़ी बनादो ए कृष्ण मुरार,
खींचे  मेरी साड़ी है, आओ बनवारी । । 
करत उधारी है, आओ बनवारी     । । 

नीच यह दुशाशन चीर खींचे सभा में हमारा,
श्याम के बिना तो कोई दीखे नहीं है किनारा,
तूफां ने  घेरी  है नैया अब हमारी है            । । आओ । ।

यह पति हमारे आज बाजी जुए में हैं हारे,
आ पड़ी है विपता नार, अबला है तेरे सहारे,
पापी के हाथों से होत उधारी है                  । । आओ । ।

चीर को दुशासन खींचते खींचते हाय हारा,
सोचा द्रौपदी ने आ गया है मेरा मुरली वाला,
द्रौपदी की लाज रखी "पदम्" उचारी है     । । आओ । ।



-: इति :-
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Hari Gun Gaa

तर्ज    - ढपली वाले ढपली बजा
फिल्म - सरगम

ओरे मतवाले हरी गुण गा,
यही सब ग्रन्थ गाते हैं              । । आ । ।
यह जीवन सफल बना            । । ओरे मतवाले । ।

कुछ याद कर मन तेरा मेरा बचपन किस प्यार से माँ ने पाला,
अनमोल मोती आशा की ज्योति, कर देगी एक दिन उजाला,
जो आई जवानी किसी की न मानी,
हुए कामिनी के हवाले            । । ओरे मतवाले । ।

तूने कोड़ी कोड़ी यह माया जोड़ी, जोड़ा है अपनों से नाता,
नेकी और धरम बिन, बृथा है सब धन, कुछ भी नहीं साथ जाता,
चला चार कंधे, तुझे आज बन्दे,
जलाएंगे सब अपने वाले         । । ओरे मतवाले । ।

पापी मन तेरी, दुनिया अँधेरी, भव सिंधु में डोले नैया,
मैं हूँ बेसहारा, छूटा है किनारा, दीखे न कोई खिवैया,
चला जा शरण में, तू  हरी की लगन में,
"पदम्" जाके डेरा लगाले       । । ओरे मतवाले । ।



-:इति :-
  
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Tuesday, April 4, 2017

Shree Luv Kush Bhagwan ki Aarti

ॐ जय लव कुश देवा, ॐ जय लव कुश देवा    ।
आरती भगत उतारें, संत करें सेवा                     । । ॐ । ।


श्रावण मास की पूनम, लव कुश जनम लिये      । स्वामी ।
सकल देव हर्षाये , ऋषि मुनि धन्य किये           । । ॐ । ।

वाल्मीकि जी के मढ़ में, बचपन बीत गया           । स्वामी ।
अस्त्र शस्त्र की शिक्षा, चित आनंद भया             । । ॐ । ।

अपने प्रिय गुरुजन की, आज्ञा सिरो धाई            । स्वामी ।
मात सिया चरणों में, सुत प्रीति पाई                  । । ॐ । ।

विजयी विश्व का परचम, अवध में लहराया         । स्वामी ।
अश्व मेघ का घोड़ा, लव कुश मन भाया             । । ॐ । ।

बीर बली बंधन में, लक्ष्मण जान गए                   । स्वामी ।
पिता पुत्र फिर रण में, सन्मुख आन भये             । । ॐ । ।

दुखी जनो के प्रभुजी, दुर्गुण चित्त न धरो             । स्वामी ।
शरणागत जो आवे, ताकि विपति हरो                 । । ॐ । ।

लुव कुश देव की आरती, जो कोई जन गावे         । स्वामी ।
"पदम्"  कहत वह  प्राणी, सुख संपत्ति पावे         । । ॐ । ।


। । हिन्दू धर्म की जय, लव कुश भगवान  की जय  । ।


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Gau Mata Ki aarti

ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता   ।
जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता     । । मैया जय । ।

सुख समृद्धि प्रदायनी,  गौ की कृपा मिले        ।
जो करे  गौ की सेवा, पल में विपत्ति टले          । । मैया जय  । ।

आयु ओज विकासिनी, जन जन की माई         ।
शत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाई             । । मैया जय  । ।

सुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियो        ।
अखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियो    । । मैया जय  । ।

ममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माता       ।
जग की पालनहारी, कामधेनु माता                 । । मैया जय  । ।

संकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गायी          ।
गौ शाला की सेवा, संतन मन भायी                 । । मैया जय  । ।

गौ माँ की रक्षा हित, हरी अवतार लियो           ।
गौ पालक गौपाला, शुभ सन्देश दियो              । । मैया जय  । ।

श्री गौमात की आरती, जो कोई सुत गावे         ।
"पदम्" कहत वे  तरणी, भव से तर जावे        । । मैया जय  । ।



। । भारत माता की जय, गौ माता की  जय  । । 












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Saturday, April 1, 2017

Vanvaas Mere Praan Ka

तर्ज     - मिलती है  ज़िन्दगी में मोहब्बत कभी
फिल्म - आँखें 1968


वनवास मेरे प्राण का प्यारा चला गया,
मेरी  ज़िन्दगी का राम सहारा चला गया । ।

कैकई ने ज़ुल्म ढाया है वचनों को मांग कर,
चौदह बरस को आँख का तारा चला गया    । । वनवास । ।

भाई लखन व सीता भी सब साथ हो लिए,
हाय अवध से राज दुलारा चला गया            । । वनवास । ।

है दिल पे दौर ऐसे हम कैसे जी सकेंगे,
हम से बिछड़ के लाल हमारा चला गया      । । वनवास । ।

यह  राम की जुदाई ऐसे "पदम्" ने गायी,
जैसे अवध का राज दुलारा चला गया          । । वनवास । ।


-: इति :-
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Draupadi ki Pukaar

------ तर्ज - होंठों को छूलो तुम मेरा गीत अमर कर दो ------
------ फिल्म   - प्रेमग्रंथ ------

। ।  द्रौपदी की पुकार । ।

अब लाज कहीं मोहन द्रौपदी की न लुट जाये,
आँखों में भरे मोती अनमोल न लुट जाएँ । ।

घनश्याम मेरी बिगड़ी जो आज न बन पायी,
इस तरह ये लगता है तेरा नाम न मिट जाये   । । अब । ।

यह दुष्ट दुशासन है खींचे है मेरी साड़ी,
आजाओ मेरे भैया यह वक्त न कट  जाये      । । अब । ।

मल्लाह ने मुह मोड़ा दीखे न किनारा है,
विनती यह "पदम्" की है नैया न पलट जाये  । । अब । । 


                                                                 
                                                                                 -: इति :-
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