Monday, January 29, 2018

Japo Re Man Govardhan Girdhaari

तर्ज:- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो

जपो रे मन गोवर्धन गिरधारी ||

सखियों के संग रास रचाए,
लूट लूट कर माखन खाए,
माधव मदन मुरारी || जपो ||

जमुना तट पे मुरली बजाये,
राधा की सुध बुध बिसराए,
राधा रमण बिहारी || जपो ||

गोवर्धन को नख पे धारो,
मथुरा जाए के कंस को मारो,
भक्तन के हितकारी || जपो ||

अर्जुन के रथ हाकने वाले,
गीता में उपदेश तुम्हारे,
चक्र सुदर्शन धारी || जपो ||

द्रौपदी ने जब टेर लगाई,
तुमने उसकी बिगड़ी बनाई,
"पदम्" चरण बलिहारी || जपो ||

-:इति:-


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