Wednesday, January 10, 2018

Ganga Teri Jaton Me Behti Sheesh Pe Chanda Aala

गंगा तेरी जटों में बहती शीश पे चन्दा आला,
वह सब देवों में भोला है नाम है भोला भाला ।

तन पे ओढ़े हैं मृग छाला नन्दी पर असबार,
बृम्हा विष्णु सब उनकी माया से पाये हार,
कोई न जाने शिव शंकर की लीला अपरम पार। गंगा।

डमरू बजा कर नाच रहे हैं वह शिव शंकर भोले,
गांजा पीवे पियें धतुरा खाए भांग के गोले,
नाच तुम्हारा देख देख कर इन्दर का मन डोले । गंगा

मूँह माँगा वरदान लुटाये भोले शिव करतार,
खाली ना जाए कोई सबाली ऐसो है दरबार,
मिलेगी मुक्ति "पदम्" को आजा कैलाशी के द्वार । गंगा

-: इति :-


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