तर्ज:- स्वर्ग से सुन्दर सपनों से प्यारा
फिल्म :- घर द्वार
31 अक्टूबर 84 का वह जग से नाता तोड़ गई ।
फिल्म :- घर द्वार
31 अक्टूबर 84 का वह जग से नाता तोड़ गई ।
हिंदुस्तान के हर परिवार को रोता बिलखता छोड़ गयी ।।
किसको था मालूम कि भारत पर यह संकट आयेगा ।
आस्तीन का साँप हमारा हमको ही डस जायेगा ।।
अन्तिम थी तकरीर तुम्हारी जो कि उड़ीसा में दी थी ।
एक एक बूंद लहू की तुमने भारत को अर्पण की थी।।
धरती का भी फटा कलेजा आसमान भी टूट पड़ा ।
इन्द्रा गांधी जिन्दाबाद यह हर मुख मुख से फूट पड़ा ।।
हिन्द की आंधी इन्द्रा गांधी दुर्गा का अवतार,
यह भारत क्या सारी दुनिया करती है जयकार,
अमर है नाम तुम्हारा तुम्हे प्रणाम हमारा ।।
इलाहबाद में जन्मी खुशियों की ज्योति जलाई,
पिता जवाहर नेहरु, थी माता कमला बाई,
देश की सेवा करना यह शिक्षा घर से पाई,
बचपन खेल कूद में बीता मिला सभी का प्यार ।। अमर।।
जून 75 में जब इमरजेन्सी आई ,
गुंडा बदमाशों और चोरों की आफत आई,
दाढ़ी मूछों सर की फिर होने लगी सफाई,
अमन चैन की वर्षा बरसी गली गली हर द्वार ।। अमर।।
सन 1980 में सत्ता फिर से संभाली,
गाँव गाँव दिवाली और नगर नगर खुशहाली,
20 सूत्र की माला जन जन के गले में डाली,
‘पदम' यह भारत भूल सके ना इतने किये उपकार ।। अमर।।
-: इति :-
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