Saturday, February 10, 2018

Wo Bholanaath Kailashi

तर्ज :- कव्वाली 

वह भोला नाथ कैलाशी ज़माने से निराला है,
गले में हार फूलों की जगह नागों की माला है ||

तेरे दरबार से शंकर, कोई खाली नहीं आता,
पापियों को मिटाने के लिए, त्रिशूल आला है || वह ||

बिना सोचे भसम कंगन, भस्मासुर को दे डाला,
वह जिसका नाम है भोला बड़ा ही भोला भाला है || वह ||

लगा त्रिपुंड माथे पर सजा है, हाथ में डमरू,
जटों में गंग की धारा मुकुट चंदा उजाला है || वह ||

है गौरा साथ में उनके बड़े दानी हैं अविनाशी,
"पदम्" वह बेसहारों को सहारा देने वाला है || वह ||

-: इति :-


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