Friday, April 20, 2018

Bade Maan Se Gajanand

------ तर्ज:- कव्वाली ------

बड़े मान से गजानंद हम तुमको पूजते हैं,
गौरा के भये ललना पलना में झूलते हैं ||

रिद्धि और सिद्धि के दाता हो तुम,
भक्तों के भाग्य विधाता हो तुम,
त्रिलोक में गणेशा मूषक पे घुमते हैं ||बड़े ||

बुद्धि विनायक हो गणराज हो,
देवों में तुम ही तो सरताज हो,
सुर नर ऋषि तुम्हारी भक्ति में झूमते हैं ||बड़े ||

दुनिया के जिस मोड़ पर हम खड़े हैं,
यहाँ मोह माया के बंधन बड़े हैं,
होगी दया तुम्हारी बंधन भी टूटते हैं ||बड़े ||

भक्तों की बिगड़ी बना जायेंगे,
अगले बरस देवा फिर आयेंगे,
दरपे "पदम्" तुम्हारे मुक्ति को ढूंढते हैं ||बड़े ||

-: इति :-



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