----- तर्ज़:-मंदिर से दौड़ी चली आउंगी -----
!! भजन!!
शिव के भुवन चली जाउंगी,कोई रोके या टोके।
शिव की दिवानी बन जाउंगी,कोई रोके या टोके,
(१)पूजा की मेने थाल सजाई,
गंगा जल लोटा भर लाई।
गंगा से शिव को नहलाऊंगी,कोई रोके या टोके
(२)धोरे अकौआ को फूल चढ़ाऊँ
भांग धतूरे का भोग लगाऊं।
चंदन को टीका लगाउंगी,कोई रोके या टोके।
(३)पल पल शिव की छवि निहारूँ
आम की डार पे झूला डारुं।
शिव को झूला झुलाऊंगी,कोई रोके या टोके।
(४)दर्शन की एक झलक दिखादो,
"पदम" के मन को धीर बंधादो।
शिव जी के गुणगान गाऊँगी, कोई रोके या टोके
।।इति।।
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