Sunday, September 30, 2018

Maa Ka Dar Choom Kar

 -----तर्ज़:-मेरे रशके कवर,तूने पहली नज़र -----

  !!भजन!!

माँ का दर चूम कर,सारे ग़म भूल कर।
मेने अर्जी लगाई,मज़ा आ गया।।
दर बदर घूम कर,मैया के द्वार पर,
मेने झोली फैलाई,मज़ा आ गया।।

(१)सिंह पर बैठ कर माँ भवानी चली,
     दुष्ट दानव पे माँ की दुधारी चली।
रण में संघार कर,दुष्टों को मार कर,
मुंडमाला बनाई,मज़ा आ गया।।

(२)माँ की कृपा के बादल बरस जाएंगे,
    सबके बिगड़े मुकद्दर सवर  जाएंगे।
बात बन जाएगी,झोली भर जाएगी,
माँ से आशा लगाई,मज़ा आ गया।।

(३)आसरा इस जहां का मिले न मिले,
 माँ के दर पे "पदम" को ठिकाना मिले।
आ गए द्वार माँ, कर दो उपकार माँ,
माँ की महिमा को गाई, मज़ा आ गया।।

  ।।इति।।


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