Saturday, September 8, 2018

Boli Vasudev Se Devki

------ तर्ज:- कव्वाली ----
तर्ज़:- मेरे रश्के कवर,तूने पहली नज़र,
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया ।।
------ || कृष्ण जन्म || ------

बोली वसुदेव से देवकी इस तरह
आज जन्में हैं कान्हा गजब हो गया

सुनके वसुदेव जी मन में घबरा गये
आंसू जब देवकी माँ के भी आ गए
कृष्ण बोले मैं अवतार हूँ राम का
उनके दर्शन दिखाना गजब हो गया

मुझको गोकुल में तुम छोड़ आओ अभी
कंस को यह खबर हो न जाये कहीं
कट गईं बेड़ियां जेल के पट खुले
ऐसी माया रचाना गजब हो गया

कृष्ण को सूप में रख के चलने लगे
बिजली चमकी और बादल गरजने लगे
मस्त भादों महीने की थी अष्टमी
राह जमुना से जाना गजब हो गया

पानी जमुना को देखा जो बड़ता हुआ
देख वसुदेव ने सूप ऊंचा किया
यमुना हरी के चरण छूना चाहती थी यूं
पाँव नीचे बढ़ाना गजब हो गया

धीर मन को हुआ पहुंचे नन्द भवन
लेके कन्या चले छोड़ा अपना ललन
सारी गोकुल में छायीं है खुशियाँ "पदम्"
आज जन्मे हैं ललना गजब हो गया

काट दूं प्रथम यदि हानि है किसी डाल से
देवकी को मार दूं यदि भय है उसके लाल से
क्यों व्यर्थ मारने को मुझे लाल हो गया
गोकुल में देख पैदा तेरा काल हो गया

पाप जब हठ पे होता है तभी अवतार होता है
इसी अवतार से भक्तों का बेड़ा पार होता है
सुमरते हैं जो मुझको उन पर मेरा प्यार होता है
न रहती पाप की सीमा तभी अवतार होता है

-: इति :-



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