----- तर्ज:- मेरे बांके बिहारी लाल तू इतना न करियो श्रृंगार , नज़र तोहे लग जायेगी -----
श्री विश्वकर्मा भगवान
किया है जनजन का कल्याण
तुम्हारी जय जय हो ।। देवा रे ।।
काष्ट कला के तुम निर्माता,
लोह युग के तुम भाग्य विधाता,
दिया भुवन विधि का ज्ञान ।। किया है ।।
भांति भांति औजार बनाये,
हर तकनीक धरा पर लाये,
किया मुश्किल को आसान ।। किया है ।।
हम सबका जीवन सुख दाई,
तरह तरह की मशीन बनाई,
देवा तुम हो बड़े महान ।। किया है ।।
दिये खेती के सामान ।। किया है ।।
मन मंदिर में तुम्हें बिठालूं,
गीतों की माला पहना दूं,
यह "पदम" करे गुणगान ।। किया है ।।
-: इति :-
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