------ तर्ज - होंठों को छूलो तुम मेरा गीत अमर कर दो ------
------ फिल्म - प्रेमग्रंथ ------
हरी नाम सुमर बन्दे हर दुःख टल जाएगा,
भक्ति और मुक्ति का मार्ग मिल जाएगा । ।
तन कोमल मन चंचल धन का अभिमान न कर,
यह चढ़ता सूरज है एक दिन ढल जाएगा । । हरी । ।
रिश्ते नाते परिजन मतलब के साथी हैं,
यह भेद किसी दिन तो खुद ही खुल जाएगा । । हरी । ।
यह दौलत यह शोहरत कुछ काम नहीं आए,
जैसा तू बोएगा वैसा फल पाएगा । । हरी । ।
आया है कहाँ से तू जाएगा किधर बतला,
रोता हुआ आया है, रोता कल जाएगा । । हरी । ।
हर एक मन मंदिर में भगवान की मूरत है,
मन की अखियों से "पदम्" दर्शन मिल जाएगा । । हरी । ।
-: इति :-
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