तर्ज:- ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
दोहा:- ब्रह्माण्ड के सारे देवों में
एक देव निराला देखा है
किस्मत के लेख मिटा देता
ऐसा खाटू बाला देखा है
श्री श्याम सुनो,मेरे श्याम सुनो
ओ कलियुग के अवतार सुनो
मुझ दीन दुखी की पुकार सुनो ।।श्री श्याम सुनो ।।
(1) हारे के सहारे कहलाते
कभी सपने में भी आ जाओ
में कबसे दर दर भटक रहा
रोते को गले लगा जाओ
श्री कृष्ण को शीश का दान दिया
लख दाता हो दातार सुनो ।।श्री श्याम ।।
(2) दुनिया में बहुत सहारे है
मेरा तो सहारा तुम ही हो
मेरी नैया पतवार तुम ही
मेरा तो किनारा तुम ही हो
मझधार रखो या पार करो
यह तुम को है अधिकार सुनो ।। श्री श्याम ।।
(3) उड़ जाता लेकिन पंख नहीं
खाटू के दर से दूर हूं में
दर्शन को मनवा तड़फ रहा
केसे आऊं मजबूर हूं में
गुण गाए "पदम"मरते दम तक
तुम ही मेरे आधार सुनो ।। श्री श्याम ।।
//इति//
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